Monday, May 25, 2015

कबिता अनबरत १ में मेरी रचनाएँ

प्रिय मित्रों
मुझे बताते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि मेरी रचनाओं को "कबिता अनबरत " में स्थान दिया गया है।  संपादक श्रीमती चन्द्र प्रभा सूद का बहुत बहत आभार।









मदन मोहन सक्सेना

Wednesday, May 20, 2015

अणुभारती में प्रकाशित ब्यँग्य






अणुभारती में प्रकाशित ब्यँग्य


मदन मोहन सक्सेना

परमाणु पुष्प में पूर्ब प्रकाशित मेरा ब्यंग्य

परमाणु पुष्प में पूर्ब प्रकाशित मेरा ब्यंग्य








मेरी बिदेश यात्रा .

मदन मोहन सक्सेना .

Tuesday, May 5, 2015

मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -१ , अंक ८ ,मई २०१५ में


प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -१ , अंक ८  ,मई  २०१५ में प्रकाशित हुयी है . आप भी अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएँ .



गजब दुनिया बनाई है, गजब हैं  लोग दुनिया के
मुलायम मलमली बिस्तर में अक्सर बह  नहीं सोते

यहाँ  हर रोज सपने  क्यों, दम अपना  तोड़ देते हैं 
नहीं है पास में बिस्तर ,बह  नींदें चैन की सोते

किसी के पास फुर्सत है,  फुर्सत ही रहा करती \
इच्छा है कुछ करने की,  पर मौके ही नहीं होते

जिसे मौका दिया हमने  , कुछ न कुछ करेगा बह  
किया कुछ भी नहीं ,किन्तु   सपने रोज बह  बोते

आज  रोता नहीं है कोई भी  किसी और  के लिए 
सब अपनी अपनी किस्मत को ले लेकर खूब रोते

मदन मोहन सक्सेना