Wednesday, August 20, 2014

मेरी पोस्ट ग़ज़ल (कंक्रीट के जंगल) आपका ब्लॉग ए बी पी न्यूज़ में


मेरी पोस्ट
ग़ज़ल (कंक्रीट के जंगल) आपका ब्लॉग ए बी पी न्यूज़ में


प्रिय   मित्रों मुझे बताते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि मेरी पोस्ट
ग़ज़ल (कंक्रीट के जंगल) आपका ब्लॉग ए बी पी न्यूज़ में शामिल की गयी है।  आप भी अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएं। 



http://aapkablog.abplive.in/aapkablog/life-style/2014/8/%E0%A5%9A%E0%A5%9B%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%9F-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B2



 

 
 
 
 ग़ज़ल (कंक्रीट के जंगल)
 
कंक्रीटों के जंगल में नहीं लगता है मन अपना
जमीं भी हो गगन भी हो, ऐसा घर बनातें हैं

दीवारें ही दीवारें नजर आयें घरों में क्यों
पड़ोसी से मिले नजरें तो कैसे मुहँ बनाते हैं

मिलने का चलन यारों ना जानें कब से गुम अब है
टीवी और नेट से ही समय अपना बिताते हैं

ना दिल में ही जगह यारों ना घर में ही जगह यारों
भूले से भी मेहमाँ को नहीं घर में टिकाते हैं

अब सन्नाटे के घेरे में ,जरुरत भर ही आवाजें
घर में दिल की बात, दिल में ही यारों अब दबातें हैं

 
 मदन मोहन सक्सेना
 

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